स्वतंत्र क्या है?

क्या वो उड़ती हुई तितली 

क्या वो भटका हुआ बादल

कि मेरी सोच एक मचली  

या  वो फिरता हुआ पागल 

 क्या वो चिड़िया जो फुदकती

कि वो  याद जो महकती 

क्या वो गीत जो है हँसता

या कि सुनसान पड़ा रस्ता 

 क्या वो बेशर्मी से हंसना 

क्या वो निष्कपट लड़ना 

कि वो बारिश का बरसना 

या वो अनायास थिरकना 

क्या वो अलाव  का धधकना 

या कि इच्छाओं का मेहकना 

या वो शामों  का सूनापन

कि  वो  बरबस कोई चंचल मन 

 क्या वो झोपड़ी का दिया चमचम्

क्या वो अल्हड की पायल छमछम

कि वो मंदिर का घंटा टनटन 

या वो निर्धन का बालक बनठन

 क्या वो मेहनती का पसीना 

कि  वो  जवान का  सीना 

या वो मित्रों का आलिंगन

 कि  वो  ममता से भरा मन

 क्या वो फूलों का यूँ झड़ना

कोई प्यारा सा खत पढ़ना 

कि वो चंदा की अदाकारी 

या वो तारों किलकारी

 या ये अकस्मात् महामारी 

 क्या वो भोर का गगन प्यारा 

या किसी बिटिया का मुख न्यारा 

क्या वो आँचल का लहरना 

कि ये तिरंगे का फहरना ?

स्वतंत्र क्या है?

                            रोली -  १५ अगस्त ‘२०

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