बूँदें मिलने आईं हैं
मैं गहरी नींद सोई थी
एक थपकी सी महसूस हुई थी
चौंक के उठी तो देखा
कि मेरे कमरे की खिड़की
फिर बारिशों ने भिगोई थी
बुला रही थी बूँदें मुझको
मचलती सी ,फिसलती सी
मैं भी उठ ही गयी आखिर
अपनी आँखें मलती सी
छोड़ के आसमानो को
ये बूँदें मिलने आयी हैं
हवाओं की सवारी कर
ये मुझमे घुलने आयी हैं
बढ़ा के हाथ हथेली पर बिठा लिया
एक को मैंने
और पूछा बूँद कैसी हो?
क्या चमकती हो तुम, क्या कहने !
बड़ी दूर का सफर है ये
जो तय कर के मैं आयी हूँ
बादलों का संदेसा मैं
इस धरती पे लायी हूँ
यूँ ही नहीं लुटाता है ये बादल
तुम पे हम बूंदों को
चीर कर अपना सीना
है देता ज़रूरतमंदों को
हमारा जश्न है ये जिसको
तुम बारिशों का नाम देती हो
हर एक बूँद के बलिदान को
क्या कभी सम्मान देती हो?
चलो आओ बाहर ज़रा मिल के
कुछ नाच ले हम साथ जी भर के
फिर घड़ों को है मुझे भरना
कभी इस घर के कभी उस घर के