साल २०२० ......
वो साल नहीं काल था
मनुष्य से सवाल था
ज़रूरी क्या और क्या व्यर्थ
एक भ्रमित ख्याल था
वो साल नहीं काल था
विश्व के पटल पे वो
पृथ्वी ह्रदय अटल पे वो
मानव के मनोबल पे वो
अकस्मात् भूचाल था
वो साल नहीं काल था
सब रुक गया ,सब झुक गया
सब बनते बनते चुक गया
सब दूर दूर हो गया
सामाजिक वो अकाल था
वो साल नहीं काल था
अस्तित्व को बचाने का
नया ही क्रम चलाने का
समय के चेहरे पे जैसे
वो इक खरोंच लाल था
वो साल नहीं काल था
काल चक्र ही तो था
रुके बिना चला किया
वो वर्ष २०२० तो
मात्र अंतराल था
वो साल नहीं काल था
वो आया था तो गया चला
कुछ सीखा के भी दिखा के भी
सोच के निश्चिन्त हूँ
वो साल भूतकाल था
वो साल नहीं काल था