कुछ नया ढूँढेंगे !
नए वर्ष में फिर से कुछ नया ढूँढेंगे
जो मिलते मिलते खो गया है वो ढूँढेंगे
फिर से ढूँढेंगे सूरज में नई सी चमक
फिर से चल देंगे नई राहों पर दूर तलक
फिर से सपनों के नए महल भी हम बनाएंगे
नई हिम्मतों , नई कोशिशों को आज़माएंगे
नए को पुराने में खोज लेंगे हम
पुराने से सीख कर नए कि मौज लेंगे हम
नए में पुराना, पुराने में नया सब मिल जुला ही है
ये सब हमारा अपना बनाया सिलसिला ही है
इसी सिलसिले कि लहर पर उठते गिरते जाएंगे
आते जाते वर्षों में सिमटते बिखरते जाएंगे!