कहाँ ?
कहाँ भटक रही हो?
यही प्रश्न पूछा था किसी ने मुझसे
और मैं अटक कर रह गई,
उत्तर में
भटकी ही हूँ क्या मैं जीवन में?
बिना पहुंचे कहीं भी
हर मंजिल पा भी ली मैंने
और फिर कोई पाई नहीं भी
क्या इसी को भटकना कहते हैं?
चलते रहना , और कहीं नहीं पहुंचना ?
कहीं पे होना भी और नहीं भी होना ?
नहीं समझ पाई हूँ मैंने भटकने का मतलब
मंजिलों को पा कर झटकने का मतलब
उत्तरों में बस यूं ही अटकने का मतलब
बताए समाधानों के चटकने का मतलब
हाथ आई सफलता के खटकने का मतलब
मैं मानती हूँ कि
इस दुनिया में जब भी कोई भटका होगा
जब भी कोई उत्तरों में अटका होगा
जब भी झटक दी होगी किसी ने पा कर मंजिल
या समाधान लगे होंगे चटकने काबिल
या सफलता खटकी होगी होके हासिल
तब तब आसमान में एक नया सितारा लटका होगा
कोई और नहीं वो कोई मुझसा भटका होगा
अब अगर कोई पूछेगा मुझसे
कहाँ भटक रही हो?
तो मुस्कुरा के बस हिला दूँगी मैं सर अपना
क्यूँ बेवजह उत्तरों में अटकना ?