जब देखा करीब से

एक रात बहुत  करीब से देखा चाँद को

वो कहते हैं ना , कि एक टक बहुत देर तक

पता नहीं मुझे क्यूँ बदला सा लगा

कुछ अलग अलग कुछ पिघला सा लगा

चाँदनी छिपाता सा अपनी नजरें चुराता सा

मैं भी ठिठकी, सहमी , आँखें मिचमीचाती सी  

और थोड़ा झिझकी , थोड़ा सा घबराती  सी  

ये मेरा वो चाँद चाँद सा था ही नहीं

ये वो दगीला दाग दाग सा था ही नहीं

बदल गया था मेरा चाँद हो गया था ये तुम सा

चमचमाती चाँदनी के पीछे बेदाग पर गुमसुम सा

हाथ बढ़ा कर ले लिया था उसको मैंने आँचल में

पिघल कर पानी पानी सा हो गया था वो एक पल में

समेट कर सहेजा था उसे बनाया था मैंने फिर से

अपने सामने के आँगन के नीम पर बिठाया था फिर से

प्यार से एक बार फिर एक टक ताका था उसको

तो बोला था मैं दाग अपने दिखाऊँगा अब सिर्फ  तुमको

 तो बोला था मैं दाग अपने दिखाऊँगा अब सिर्फ  तुमको

बदल गया था मेरा चाँद हो गया था ये तुम सा

चमचमाती चाँदनी के पीछे बेदाग पर गुमसुम सा !

Previous
Previous

Christmas Haiku

Next
Next

तुम चलो हमपे