कहानियां

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क्यूंकि कहानियां होती भी हैं और लिखी भी जाती हैं 

क्यूंकि कहानियां सच भी कहती हैं और झूठ भी बुलवाती हैं 

क्यूंकि कहानियां हंसाती भी हैं और रुला भी जाती हैं 

क्यूंकि कहानियां याद भी दिलाती हैं और भुला भी जाती हैं 

क्यूंकि कहानियां कुछ ज़रूरी भी हैं और कुछ बेवज़ह भी हैं 

 क्यूंकि कहानियां सिर्फ किताबों में नहीं हर जगह ही हैं 

कहानियों का सिलसिला जो चला तो फिर रुका ही नहीं

सदियाँ कहानियों में बदल गयीं वक़्त रुका ही नहीं 

जो आज है वो कल कहानी नहीं तो और क्या होगा ? 

जो कल था वो कहानियों में बयां सौ मर्तबा होगा 

कहानियां मरती नहीं हैं जब पढ़ो ज़िंदा हो जाती हैं 

होटों पे मुस्कुराहटें बन के या आँखों से टपक जाती हैं 

कहानियां  माजी भी  हैं  और आज भी हैं और कल की भी हैं 

 कहानियां सबकी हैं हर पल की हैं और हर जगह की हैं 

यह जो भागतीं सी दौड़ती से भीड़ है लोगों 

ये जो हारती सी  जीतती सी तक़दीर हैं लोगों 

यह जो एक दूसरे से आगे जाने की लगी होड़ है लोगों 

यह जो मुखौटों में छिपे चेहरे हर ओर हैं लोगों 

ये जो महफिलों की रौनकें हैं  और जशने  फतह 

ये जो बारातों के जुलूस हैं  और जनाजों की वजह 

कहानियों में ये सब किस्से बयां होंगे ही 

तमान फासले सच और झूठ के दरम्यान होंगे ही 

कहानियां डरती   नहीं हैं तमाम लोगों की तरह 

 पन्नो में उड़ती फिरती हैं आज़ाद परिंदों की तरह 

जब कहानी लिखो अपनी ज़िन्दगी की तो बस इतना करना 

कलम को अपने हाथ में रखना किसी को ना देना 

जो दे दी कलम अपनी कहानी की गैर के हाथों में 

तो सच दम तोड़ देगा तड़प के झूठी  बातों  में  

कहानी लिखी तो जायेगी पर बहुत ही झूठी होगी वो 

 कहानी तुम्हारी नहीं फिर और किसी की होगी वो 

क्यूंकि कहानियां होती भी हैं और लिखी भी जाती हैं 

क्यूंकि कहानियां सच भी कहती हैं और झूठ भी बुलवाती हैं 

क्यूंकि कहानियां हंसाती भी हैं और रुला भी जाती हैं 

क्यूंकि कहानियां याद भी दिलाती हैं और भुला भी जाती हैं 

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