तुम ही भारत हो

सैनिक तुम ही भारत हो

पूछो क्यों? तो बताऊँ मैँ

एक एक कर समझाऊँ मैं

तुम हो एकदम विशेष

इस भारत धूलि के भावावेश

कोई अलग हो क्या तुम भारत से?

भारत तुम्हारे मन, मस्तिष्क, हृदय

में बसा रहता है

तुम्हारी रग रग में ही धंसा रहता है

प्रदेश, नगर, भाषा, जाती,

सब तुम्हारी केवल भारत है

तुम्हें केवल सीमा रक्षा की एक आदत है

वार त्योहार भी तुम्हारे भारत से हैं

शत्रु को धूल चटाने की चाहत से हैं

समस्त भारत ही है तुम्हारा परिवार

जिसकी रक्षा का है तुम पर कार्यभार

जीवन मूल्य तक देने को तुम तथागत हो

सुनो सैनिक तुम ही तो भारत हो।

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