क्या बनोगे?

‘मैं डॉक्टर बनूँगा ‘

कितनी बार सुना है ये उत्तर 

जब भी पूछा है ये प्रश्न 

किसी छोटे बच्चे से 

बड़े होकर क्या बनोगे?

कितना गर्व होता है ना 

उन नन्ही आँखों में 

ये घोषणा करते हुए 

उस उम्र में भी 

कि ‘मैं डॉक्टर बनूँगा’

क्या उसे ज्ञात होता है 

महत्त्व इस जीविका का ?

क्या ज्ञात होता है 

उसे इस आख्यायिका का?

या सिर्फ यूँ ही कह देता है वो 

क्यूंकि शायद कभी 

किसी डॉक्टर ने उसकी 

बुखार से तपती माँ का  

इलाज किया हो

या उसके ही किसी घाव पर 

मरहम लगाया हो 

और ‘देवता’ बन गया हो 

वो उस मासूम के लिए 

पर पता नहीं क्यों 

मैं कभी भी 

‘मैं डॉक्टर बनूँगा’

उत्तर में मात्र एक जीविका 

को नहीं देख पायी  

और लगा कि हर छोटा बच्चा 

जब भी कहता है न वो तीन शब्द 

‘मैं डॉक्टर बनूँगा’

तो शायद स्वयं को किसी ‘भगवान ’ से 

कम नहीं आंकता 

पर वास्तव में ‘भगवान ’ 

बनने की डगर 

कभी आसान होती है क्या ?

जीवन पर्यन्त तपस्या 

केवल एक ऐलान होती है क्या?

‘मैं डॉक्टर बनूँगा ‘

कितनी बार सुना है ये उत्तर 

जब भी पूछा है ये प्रश्न 

किसी छोटे बच्चे से 

बड़े होकर क्या बनोगे?

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