मात्र शिव
सृष्टि का एक पुण्य
स्वयं में एक शून्य
अस्तित्व का आधार
अंतरिक्ष में साकार
वो एक रिक्त संसार
दैविक अन्धकार
ब्रह्माण्ड का सूत्रधार
विस्तृत गर्भ विशाल
जीवन का इंद्रजाल
अचेतन में समाहित
तमस से ही सृजित
जब नहीं था कोई अस्तित्व
तब भी था मात्र शिव !