हे गणपती, आप क्या कहेंगे?

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हे गणपती आप बुदधिनाथ हैं ना ?

तो आप हम बुद्धीहीनों से क्या कहेंगे ?

और आप बुद्धि प्रिय भी हैं

तो हम बुद्धि नाशकों को कैसे सहेंगे?

विघ्न हमारे भी आप तब ही दूर करेंगे

जब हम सब मिल के प्रयत्न भरपूर करेंगे

आप मंगल मूर्ति हैं , शुभ मंगल की आपूर्ति हैं

आप तो हम सबके साथ सर्वत्र व नित्यप्रति हैं

क्या नित्य नहीं देखते हैं आप कि  हम कैसे हैं ?

चैतन्य हैं हम या कि विघ्नकारियों जैसे हैं?

आप हमारा विश्वास हैं , सिंगार हैं ,आधार हैं ,

आप एक दिन के नहीं, प्रत्येक दिन का व्यवहार हैं

हे गणपती आप तो जानते हैं विपदा विशाल  है

और सबसे बड़ा विघ्न तो ये कोरोना काल है

आप योगधिपा भी हैं, कवीश भी और मुक्तिदाय भी

केवल कीर्ति ही नहीं विद्या का अभिप्राय भी

अब आप ही कहिए  कि स्वागत में आप क्या चाहेंगे?

बड़ी दुविधा हैं देव क्या आप ये बताएंगे?

उत्सव मनाऊँ या कि योग चिंतन को अपनाऊँ मैं ?

आपसे प्रेम है , अपनी भक्ति कैसे  निभाऊँ मैं ?

आपसे प्रेम है , अपनी भक्ति कैसे  निभाऊँ मैं ?

हे गणपती आप बुदधिनाथ हैं ना ?

तो आप हम बुद्धीहीनों से क्या कहेंगे ?

और आप बुद्धि प्रिय भी हैं

तो हम बुद्धि नाशकों को कैसे सहेंगे?

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