क्या मेरे आस पास हो?

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बहुत कठिन काल है कृष्ण, तुमसे ये सवाल है कृष्ण

क्या तुम मेरे आस पास हो? क्या तुम ही मेरा विश्वास हो?

वो अंधेरी रात थी, मूसलाधार बरसात थी

उस काल कोठरी में जन्म, तुम्हारी एक सौगात थी

ये भी कठिन काल है, विपदाएँ विशाल हैं  

तुम्हारे लिए आ गया कृष्ण, एक नवीन कार्यकाल है

फिर सिखाओ हमको तुम, कि धर्म क्या अधर्म क्या

फिर दिखाओ राह हमको, इस जीवन का है मर्म क्या

हम सब ही अर्जुन बैठे हैं, अब तुम दिखाओ हमें दिशा

हम मनुष्यों के लिए , है क्या कोई निर्देशिका?

मानवता कैसी त्रस्त है, विकारों से ये ग्रस्त है

ये एक युद्ध भिन्न है, क्या तुम्हारा हृदय खिन्न है?

विषाणु हो या हों असुर, ये हर जगह व्याप्त हैं

मानवता के नाश के लिए , ये धूर्त ही पर्याप्त हैं

कृष्ण तुम तो आसपास हो, न्यास हो , मिठास हो 

इतिहास का अट्टहास हो, शौर्य का अनुप्रास हो 

प्रेम का आभास हो, विजय का पूर्वाभास हो  

बहुत कठिन काल है कृष्ण, क्या तुम मेरे आस पास हो?

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