दिलों को भिगोना है
दिलों को रंगों से भिगोना है
सिर्फ तन को नहीं मन को भी धोना है
दिलों को रंगों से भिगोना है
जब प्रेम से दिल को लाल रंग सहलायेगा
तब दिल भी तो बस मचल मचल जाएगा
फिर पीला लेके दिल को अपने हाथों में
सराबोर कर देगा सुनहरी बातों में
और हरा जब उत्साह से नचवायेगा
तब दिल भी थिरक थिरक थिरक जाएगा
गुलाबी मुस्कुरा के गले मिलेगा जब
दिल भी तो कुछ हौले हौले खिलेगा तब
नारंगी खुशबुओं से भर देगा घर
खुशबुओं में डूब कर दिल होगा तर
बैंगनी अपने नखरे जब दिखायेगा
तब दिल न न करके भी उसका होता जाएगा
और नीला खेलेगा दिन भर आँख मिचौलियाँ
आसमानी रंगों से भरेगा दिल की झोलियाँ
जब सारे दिल रंगों से भीग भीग जायेंगे
तब लोगों के दिल भी तो करीब आएंगे