चमका दिया तो
मन में चमका दिया तो
बन गया विश्वास का
पथ पर चमका दिया तो
हो गया प्रयास का
मंदिर में चमकता है
आस्था का, उम्मीद का
झोपड़ी का दिया चमकता
जूझता चश्मदीद सा
दिया चमकता है मज़ारों पर
टिमटिमाती याद सा
घर के मंदिर में चमकता
माँ के आशीर्वाद सा
उठता गिरता, गिरता उठता,
नदी नदी और लहर लहर
भोर में भी, साँझ को भी
दिया है जलता हर पहर
मिट्टी के दिए को लेकर
मैंने अपने हाथ में
उम्मीदें और आशाएँ कर लीं
सारी अपने साथ में
एक दिया है मिट्टी का ये
और एक लौ जलती हुई
पर समेटे साथ अपने
मानवता चलती हुई ।