मेरी कविता
मेरी कविता क्या है?
वो एक ठंडी हवा का झोंका
जो ठंडक पहुंचाता है गर्मी की दोपहर में ?
या वो एक ओस की बूँद
जो चमकती है देर तलक
सूरज की पहली किरण के साथ ?
या वो फूल
जो मदहोश हो उठता है भँवरे के प्यार में
इठलाता, मचलता , कर देता है अपने को
न्योछावर उस दुष्ट भँवरे को
जो केवल उसके रस को पीना चाहता है ?
मेरी कविता है
वो एक के सूरज की किरण
जो पड़ती है जिस भी सोये हुए चेहरे पर सहला जाती है
उसे प्यार से
या तारों की परियां टिम टिम जगमगाती
हैं कतार से
मेरी कविता है दर्द से कराहता हुआ दिल
भूख से चिपका हुआ पेट
नाराज़गी भरी आँखें
और ममता से नहाया हुआ मन
किसी का प्यार है क्या ये ?
किसी का इंतज़ार है क्या ये ?
तनिक ध्यान से देखो इसे
मेरी कविता असल में
मेरी नहीं है
सारी की सारी
किसी और की ही है
या कुछ और ही है