तारे
तारे जैसे आशाओं के छींटे
जगमगाते रेशमी काली चादर पर बिखरे
कभी किसी जहाज को रास्ता दिखाते
किसी पथिक को ढांढस बंधाते
कि हम है ना रास्ता दिखाने के लिए
चलते रहो कुछ ना कुछ पाने के लिए
देखो भोर होने को है
अँधेरा सोने को है
तुम्हारे आसपास गर्माहट होगी
लक्ष्य तक पहुँचने की सुगबुगाहट होगी
तारे
जैसे रात में फैले आशाओं के जुगनू
टिमटिमाते, झिलमिलाते, खिलखिलाते
बताते कि उजाला रहता है
उजाला फैलता है
उजाला पनपता है
चाहे कितनी भी काली रात हो
चाहे कितने भी दूर की बात हो
विश्वास दमकता है
तारे
जैसे आशाओं के छींटे